१. कर्तव्य पालन ही चित ही मूल रूप से शांति का मूल मंत्र है।
२. कर्तव्य कठोर होता है, भाव प्रधान नहीं।
३. कुछ न कुछ कर बैठने की ही कर्तव्य नहीं कहा जा सकता |
कोई समय ऐसा भी होता है,जब कुछ न करना ही सबसे बड़ा कर्तव्य माना जाता है |
४. कर्तव्य ही ऐसा आदर्श है,जो कभी धोखा नहीं दे सकता।
५. कर्तव्य कभी अग्नि और जल की परवाह नहीं करता।
६. जिम्मेदारी लेना लीडरशिप है न कि बहाने बनाना।।
७. मैं उम्मीद करता हूं कि आप अपने निर्णयों की जिम्मेदारी लेन सीखेंगे और अपने भय से परामर्श नहीं लेंगे।।
८. जिम्मेदारी रास्ता खोजती है और गैर जिम्मेदारी बहाने बनाती है।।
९. कोई किसी को जिम्मेदारी सौंप सकता है लेकिन विवेक नहीं दे सकता।।
१०. मैं सिर्फ उसके लिए जिम्मेदार हूं जो मैं बोलता हूं न कि उसके लिए जो आप समझते हैं।।
११. जितनी जल्दी आप अपने जीवन की जिम्मेदारी लेंगे उतनी जल्दी सफल होंगे।।
१२. कर्तव्यों भावनाओं में उपयोगी हैं, लेकिन अप्रियता का उद्देश्य संबंधों के संबंध में है।
१३. कर्तव्य की भावना के बिना काम करना भूख के बिना खाना खाने जैसा है।
१४. आज के कार्य को टालकर आप कल की जिम्मेवारी से नही बच सकते हैं।।
१५. कर्तव्य की पालना से ही योग्यता का जन्म होता हैं।।
१६. सबसे अच्छी बात यह है कि तू अपना कर्तव्य पूर्ण कर शेष ईश्वर के सहारे छोड़ दे।।
१७. आत्मा को सिखाएं कि उसको अभ्यास करना हैं और अभ्यास से आप अपने और समाज का भाग्य उदय कर सकते हैं...!
अभ्यास के उस विचार को सच किया जा सकता जो किसी दिन आपके दिमाग के अंदर से निकला था...!!
१८. जब हम कर्तव्य पर डटकर सुख दुःख की चिंता न करकर निस्वार्थ भावना से डटे रहते हैं तो सुख अपने आप आता हैं।
१९. आप खुद की संभावनाएं सोचकर नहीं जान सकते, खुद की संभावनाओ को जानने के लिए आपको कुछ करना पड़ेगा।
आपको तुरंत पता चल जायेगा कि आप क्या कर सकते हैं और कितना कर सकते हैं।।
२०. जिम्मेदारी लेना और उसको अपने बलबूते पूरा करना एक महान उपलब्धि हैं।।
२१. अपनी खुद की परेशानी को देखना और उसको लेकर चिंता में बैठना एक व्यर्थ काम हैं इसके बजाय आप इसको खुद की गलती मान कर अगले कर्तव्यों में शुद्धता लानी चाहिए।।
२२. कुछ लोग जीवन में किसी से अनुमति नहीं मांगना नहीं चाहते हैं।।
उनको चाहिये कि वे अपने कन्धों पर कोई जिम्मेदारी उठायें और अपने कर्तव्य का पालन करें।
कर्तव्य परायण प्राणी को न तो कोई आदेश देता हैं उनको कोई अनुमति की आवश्यकता नहीं होती हैं।।
२३. तेरे बुद्धि और हृदय को जो सत्य लगे, वही तेरा कर्तव्य है।।
२४. ईश्वर कभी भी उस व्यक्ति की सहायता नहीं करता जो कर्म ही नहीं करता।।
२५. कर्तव्य कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जिसको नाप जोखकर देखा जाय।।
२६. कर्म करना जीवन के आनन्द के लिए आवश्यक है। कर्म करते समय मनुष्य अपने दुःख को भी भूल जाता है।।
२७. शुभ कार्य करने से सुख और पाप कर्म करने से दुःख होता है, बिना किए हुए कर्म का फल कहीं नहीं भोगा जाता है।।
२८. जो काम कल करना है उसे आज करो और जो काम करना है
वह तुरंत कर लो,क्षण भर में यदि मृत्यु हो गई तो पुनः बाकी पड़ा हुआ काम कब करोंगे...?
२९. प्रत्येक #व्यक्ति को अपने आचरण का परिणाम #धैर्यपूर्वक सहना चाहिए।।
३०. आँखों से नींदे उड़ने लगी है।
शायद अब #ज़िम्मेदारियाँ बढ़ने लगी है।।
३१. एक लम्बे समय तक हम अपने जीवन को और अपने आप को आकार देने में लगे रहते हैं.ये #सिलसिला तब तक ख़तम नहीं होता जब तक कि हम चुनते हैं वो केवल जिम्मेदारी होती है।
३२. जो काम अभेद-भावना की ओर ले जाता है, वह सत्कर्म है, कर्तव्य है, करणीय है।
३३. से गुप्त मानव ! तू फिक्र मत कर, अपमान,यश की चिंता मत कर तू अपने विवेक से कर्म करता जा।
३४. जिम्मेदारियां इंसान को बहुत कुछ सीखा देती है।
३५. विरासत मै हमेशा जागीर सोना चांदी नहीं मिलते, कभी कभी जिम्मेदारियां भी मिल जाती है।
कुछ अन्य शायरियां: